Pages

eon

Ads by Eonads

Wednesday, February 5, 2014

एक इंजीनियर

यह मेरी पहली कहानी है। दोस्तों मैं अपने बारे में बता दूँ, पेशे से मैं एक इंजीनियर हूँ, उम्र तेईस साल, कद छः फुट, रंग गोरा है और स्मार्ट कितना हूँ, यह तो आप मिल कर ही देख लेना।

यह कहानी मेरी और मेरी पड़ोस में रहने वाली डॉक्टर कीर्ति की है। बात दो महीने पुरानी है। मैं कंपनी के काम से जर्मनी जाकर वापिस आया था।

कंपनी गुड़गाँव में थी, इसलिए मैंने वापिस आकर वहीं पर एक किराए का बड़ा सा फ्लैट ले लिया क्योंकि कंपनी से पैसा तो मिलता ही था। कंपनी ने गाड़ी भी दे रखी है तो कोई दिक्कत ही नहीं होती थी।

दोस्तों के साथ घूमना, बार में जाना यही सब मस्ती से चलता है। सैक्स-चैट करना मुझे खूब पसंद है।

कहानी पर आता हूँ। मई की बात है, मैं सुबह कंपनी जाता और शाम 5 बजे तक वापिस आ जाता। मेरे नीचे वाले फ्लैट में एक दंपति रहते थे। लड़के का नाम आयुष था, काम कुछ नहीं बस ज़मीन बेच कर दारू में पैसा उड़ाता था। चूंकि बाप की ज़मीन काफ़ी थी, आधे वक़्त घर ही नहीं आता था।

उसकी बीवी मस्त माल थी। वैसे थी वो डॉक्टर लेकिन उसके घर वालों ने काम करने से मना कर रखा था। उनका 5 साल का एक बेटा था। मेरे ही ऑफिस जाने के वक़्त पर ही रोज़ स्कूल का समय होता तो कीर्ति और उसके बेटे से रोज़ हाय-हैलो होने लगी।

धीरे-धीरे उनका बेटा मेरे यहाँ खेलने आ जाता मेरा भी टाइम पास हो जाता था। वैसे कीर्ति भी उसे मेरे यहाँ भेज देती थी क्योंकि उसकी और उसके पति की रोज़ लड़ाई होती थी। झगड़े के बाद उसका पति अक्सर बाहर ही चला जाता था और रात-रात भर वापिस नहीं आता था।

जब वो अपने बेटे को बुलाने आती तो मैं उसके साथ ज़रा मज़ाक कर लेता, वो भी मुस्कुरा कर चली जाती थी। धीरे-धीरे हमारी बात होने लगी। अब वो अक्सर कॉफी पीने बुला लेती थी क्योंकि उसके पति देव आते ही नशे में थे या नहीं ही आते थे।

कीर्ति के बारे में बता दूँ, ग़ज़ब माल है, 36-25-28 का फिगर होगा, जब भी चलती तो मटकते चूतड़ देखकर किसी का भी लंड खड़ा कर दे। अक्सर बिना बाजू का सूट सलवार पहनती, उसके दूध उभर आने को उत्सुक रहते थे।

मैं उसे हमेशा निहारता रहता था, वो भी कातिल मुस्कान देकर निकल जाती थी। धीरे-धीरे हम काफ़ी खुल कर बातें करने लगे।

एक दिन मैं अपनी गाड़ी से आ रहा था, बरसात हो रही थी, मैंने देखा कि कीर्ति अपने बेटे के साथ स्टैंड पर खड़ी थी। बारिश के कारण वो भीग गई थी।

मैंने अपनी गाड़ी रोकी और आवाज़ देकर उन्हें अंदर आने को कहा। पहले तो वो थोड़ा शरमाई फिर मेरे दोबारा कहने पर अंदर आ गई। वो मेरे बगल वाली सीट पर आ गई। कसम से क्या कामुक लग रही थी।

बारिश में भीगने की वजह से उसके चूचुक टाइट हो गये थे और उनका उभार साफ नज़र आ रहे थे। नीचे सलवार से उसकी काली पैंटी भी दिख रही थी। बड़ी मुश्किल से उस वक़्त काबू किया लेकिन लंड खड़ा होने लगा था।

कीर्ति भी सब जानती थी। वैसे सब लड़कियों को पता होता है कि क्या चल रहा है बस एक्टिंग ऐसे करेंगी कि जैसे कुछ ना पता हो। मैं गाड़ी को मैं धीरे-धीरे चला रहा था ताकि आज उसे अच्छी तरह से देख सकूँ।

उसने भी अपनी मोटी जाँघ को दूसरे पर रख लिया और मुझे अब उसकी पैंटी एकदम साफ़ दिख रही थी। मैं समझ गया कि वो जानबूझ कर ऐसा कर रही है। मैं भी स्माइल देकर गाड़ी चलाने लगा।

मैं बार-बार गियर बदलने के बहाने उसकी जाँघ को छू रहा था। उसने भी कोई नाराज़गी नहीं दिखाई। फिर तो पूरे रास्ते मैंने उसकी जाँघें छू-छू कर मज़े लिए। घर आकर उसने मुझे बोला कि कॉफी पीकर ही जाना। मैं भी अपने घर नहीं जाना चाहता था।

वो कपड़े बदलने का बोलकर एक स्माइल पास करके गई। मैं समझ गया कि आज मौका है और मौसम भी। बेटे को उसने खाना खिला कर दूसरे कमरे में पहले ही भेज दिया था। जब तक वो चेंज करके आती, मैं उसके मोबाइल की वेब-हिस्टरी देखने लगा तो पाया की उसमें अन्तर्वासना की खूब कहानियाँ थीं।

मैं सोफे पर बैठा था कि एकदम से उसने मुझे पीछे से स्पर्श किया।

मैं तो पागल ही हो गया था जैसे ही मुड़ा दोस्तों ! 'अहह' क्या बोलूँ उस हुस्न को... दोस्तो, गुलाबी मैक्सी में देख कर बिल्कुल परी नज़र आ रही थी, उसमें से उसके कबूतर बाहर आज़ाद हो कर उड़ने को बेताब थे। एकदम गोरा हुस्न जैसे मलाई लगाई हो।

मैं बस उसे देखता ही जा रहा था कि उसने मुझे टोका 'कॉफी तो ले लो।'

मैंने जल्दी से उसका मोबाइल रखा, लेकिन उसने देख लिया था। कॉफी लेते वक़्त उसके हाथ का स्पर्श फिर हुआ और वो मुस्कुरा दी, वो बोली- विदेश रह कर आए हो, गर्लफ्रेंड तो ज़रूर रही होगी।”

मैंने कहा- हाँ थी तो ! लेकिन आप जितनी खूबसूरत नहीं।

वो शरमा गई।

मैंने कहा- आपकी भी शादी के बाद कुछ इच्छाएँ तो होती होगीं, लेकिन आप अकेले कैसे रह लेती हैं?

वो कुछ नहीं बोली बस सिर हिला कर हामी भर दी।

मैंने फिर कहा- सिर्फ़ मोबाइल पर पॉर्न-साइट्स देख कर आपकी इच्छा पूरी हो जाती है?

वो एकदम झेंप गई।

"तुमने मेरा मोबाइल देखा?"

मैं बोला- हाँ।

उसकी आँखों से आँसू आने लगे।

वो बोली- तुम तो जानते ही हो मेरी मजबूरी ! बेटे की वजह से छोड़ भी नहीं सकती अपने पति को।

मैंने उसका हाथ थाम लिया और वो रोते-रोते मेरे गले से लिपट गई। मैंने भी उसे कस कर पकड़ लिया। मैं समझ गया कि यही मौका है, और उसके होंठ से अपने होंठ लगा कर कस के चूमने लगा।

उसने एक बार हटने की कोशिश की मगर मैंने उसे कस कर पकड़ा हुआ था, थोड़े से विरोध के बाद वो भी मेरा साथ देने लगी।

मैंने बोला- आज से मैं तुमको तुम्हारे पति की कमी महसूस नहीं होने दूँगा और तुम्हें खूब प्यार दूँगा।

इतना सुनते ही वो और ज़ोर से मेरे होंठ काटने लगी। मैं भी उसका साथ देने लगा और खूब ज़ोर से उसके होंठों से रस पीने लगा।

वो मुझे लेकर अंदर आई और उसने मुझे बाँहों में भर लिया और बिना कुछ कहे चूमने लगी, कभी मेरे गालों को चूम रही थी और कभी गले को। इस सब के बीच मैं चूमते हुए उसके स्तन तक भी चला जाता था। उसने मुझे बाहों में जकड़ा हुआ था जिससे मेरा सीना उसके स्तन पर टकरा रहा था।

उसने मेरा दायाँ हाथ अपने सीने की बाईं गोलाई पर रख दिया और बोली- मसल दो इसको।

मैं कस कर मसलने लगा। वो आहें भरने लगी। मैं समझ गया कि वो बहुत प्यासी है। वो मेरे ऊपर ढेर हो गई और वो जैसे ही ऊपर आई तो मैंने भी दोनों हाथों का सहारा दे दिया।

मैं भी उसके साथ चुम्बनों का मजा ले रहा था। उसने जल्दी से मेरी शर्ट खोल दी। उससे बिल्कुल नहीं रुका जा रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने कहा- जान, आज मैं सिर्फ़ तुम्हारा हूँ। आज मैं तुम्हारी बरसों की प्यास मिटा के ही रहूँगा।

मैंने जल्दी से उसकी मैक्सी उसके दूधिया तन से अलग कर दी। उसने काले रंग की पैन्टी और ब्रा पहन रखी थी।

मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी गोद में लिटा लिया। उसके बदन की महक ने मुझे मदहोश कर दिया।

हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे और कभी मैं कीर्ति की जीभ चूस रहा था और कभी वो मेरी। दूसरे हाथ से मैंने उसका का एक स्तन दबाना शुरू कर दिया जिससे उसे और मजा आने लगा।

वो आहें भरने लगी 'आह आहा हहाहा !'

मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया। मेरा लण्ड पैन्ट के अंदर था पर पूरी तरह खड़ा होकर कीर्ति की फैली हुई टाँगों के बीच चूत पर टकरा रहा था और वो भी इस सब का पूरा मजा ले रही थी।

मैं उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा और उसने भी मस्ती में आँखें बन्द कर लीं और मेरा साथ देने लगी। एक-एक करके मैं उसकी दोनों चूचियों को मसलने लगा।

मैंने अपनी पैन्ट उतार दी। अपने हाथ पीछे कर के उसकी ब्रा के हुक खोल दिये और उसे उतार कर फ़ेंक दिया, और फिर से उसके होठों को चूसने लगा।

मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी गीली हो चुकी चूत को चूम लिया। उसमें एक मदमस्त कर देने वाली गंध आ रही थी। मैंने उसकी चूत में मेरा चेहरा ही गड़ा दिया था। मैं अपने हाथ से उसकी दोनों चिकनी टाँगों पर हाथ फेर रहा था, मैं उसकी चिकनी टाँगों पर से हाथ ही नहीं हटा पा रहा था।

मैं थोड़ा और ऊपर आया और उसकी नाभि में जीभ चलाने लगा, वो ‘आहें’ भरने लगी। मेरा लण्ड नीचे दब कर परेशान था। मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और उसकी पैन्टी उतार दी। चूत अनावृत थी और उससे थोड़ा पानी निकल रहा था। मैंने उसके उभरे भाग पर हाथ रखा तो उसने दोनों पैर भींच लिए और उसके मुँह से आह निकल गई- सीईईए !

मुझसे रुका नहीं जा रहा था, मैंने खड़े होकर अण्डरवीयर भी उतार दी।

मैंने उसकी चूत को जोर-जोर से चाटने लगा और उसने मेरे सिर को अपनी जाँघों में दबा रखा था और दबी आवाज़ में जोर जोर से साँसें भर रही थी।

वो अपना सिर इधर-उधर हिलाते हुए 'ओह..आह' की आवाजें निकालने लगी।

इस तरह से मैंने उसे थोड़ी ही देर चूसा होगा कि उसका बदन अकड़ने लगा और वो झड़ने लगी।

वो काफी देर तक झटके मार-मार कर झड़ती रही और मैं उसे चूसता रहा। कीर्ति ने मेरा लण्ड पकड़ लिया और मेरी तरफ देखने लगी और देखते ही देखते उसने मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया और चूसना शुरू कर दिया।

उसका इस तरह से लण्ड चूसना मुझे बहुत आनन्द दे रहा था। वो मेरा लण्ड चूसती रही और मैं उसके बालों को सहलाता रहा।उसके मुँह की गर्मी से लण्ड और गर्म हो गया था।

मुझे लगा मैं छूटने वाला हूँ तो मैंने उसे कहा- कीर्ति मेरा निकलने को है !

वो बोली- आज तो तुम सारा माल मेरे गले मे ही उतार दो।

मैंने भी उसे मायूस नहीं किया और सारा वीर्य उसके गले में उतार दिया, वो सारा चट कर गई।

अब न तो मुझसे रुका जा रहा था और न ही उससे।

कीर्ति बोली- राहुल, अब बस घुसा दो अपना लण्ड, अब और इंतज़ार नहीं होता। चूत पानी से बिल्कुल गीली थी और चुदने को तैयार थी, मैंने उसकी टाँगें फैला दी और अपना लण्ड उसकी गीली चूत पर रखा और रगड़ने लगा, कीर्ति उत्तेजित होने लगी, उसने मुँह से “आ ह... आ...सी...सी...आ..” करते हुए अपनी टाँगों को और फैला दिया। मैंने कमर के नीचे एक तकिया रखकर चूत को और ऊपर को उठा दिया।

कीर्ति मस्त आवाज़ में बोली- आह ! क्या कर रहे हो राहुल?

मैंने जवाब दिया- तुम्हें प्यार कर रहा हूँ मेरी जान, और फिर लंड रगड़ने लगा।

कीर्ति अपनी कमर को ऊपर उठाकर लण्ड को चूत में निगल लेना चाह रही थी, वह हाँफ रही थी, "प्लीज़... डालो... न..आ... आ..ह... उ...इ..इ..ओं.. अब नहीं रुका जाता..आ... आ..ह.."

मैंने लण्ड चूत पर रखकर उसके कन्धे पकड़ लिये और जोर से झटका मारा। एक बार में ही लण्ड चूत को आधे से ज्यादा पार कर गया।

वो चिल्लाई "ऊई... ई... ई... माँ... आ... अ..."

मैं उसके स्तनों को चूसने-चाटने और मसलने लगा, धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा और फिर एक और ज़ोर के झटके के साथ पूरा लंड अंदर घुसा दिया और मैंने स्पीड बढ़ा दी।

कीर्ति बोली- जानू, बहुत अच्छा लग रहा है ! जोर-जोर से करो न ! दस मिनट तक इसी तरह तेज धक्कों के बाद वो शांत हो गई।

मैं भी थोड़े और धक्के और लगाने के बाद चरम पर पहुँच गया और पूरा वीर्य उसकी चूत में निकाल दिया। वो शांत होकर अब मेरे ऊपर आ गई और उसने अपनी टाँगें मेरी टाँगों के ऊपर रख दी और हाथ मेरे हाथों के ऊपर। हम दोनों उसी तरह थोड़ी देर पड़े रहे।

मैं उसे चूमने लगा और वो मुझे। फिर हम दोनो ने थोड़ा आराम करके फिर अपनी चुदाई का दूसरा चक्र शुरू किया और रात भर अपने सहवास में मस्त रहे। बाद में मैंने उसकी गाण्ड भी मारी।

अब मैं ऐसी प्यासी औरतों के लिए हमेशा तैयार रहता हूँ। कभी भी खुल कर अपनी बात मुझसे करने के लिए आपके विचारों का स्वागत है।

No comments: