ये कहानी एक आश्रम की है जिस में वो लोग ते थे जिन को उनके बच्चो ने
घर से निकल दिया हो ओर वो बेघर हो आश्रम काफी बड़ा था ओर वह एक केरतेकर था
जो आश्रम में खाने पिने का ओर आश्रम में सब ठीक से रहे ते है की नहीं उन सब
बातो का धियं रख ने के लिए उस केरतेकर का नाम था मनोज लेकिन वो भी बुध हो
गया था ओर एक दिन उस का सवर्ग वास हो गया अब आश्रम में रहे ने वाले बूढ़े ओर
महिला जो की बुधिया थी उन सब को ये दर था की कही आश्रम अब बांध न हो जाये
तभी सेहर से उस मनोज की एक बहु थी जो विधवा थी वो आश्रम में आ गई ओर आश्रम
के साडी भाग डोर खुद स्सभाल ली
मनोज की बहु का नाम था पुष्पा वो एक बोहोद अछि दिख ने वाली ओरत थी
रंग गोरा बड़े बड़े बूब्स नागिन जेसी कमर कोई भी देख ले उस को तो देख ने वाले
का लंड खड़ा हो के सलामी पे सलामी दे ने लगे आश्रम की महिला ओ तो बड़ी सरीफ
थी लेकिन आश्रम के जो बूढ़े थे वो बड़े कमीने थे वो अक्सर पुष्पा को देख ते
रहे ते थे ओर मन ही मन में सेक्स के सपने देखा कर ते थे आश्रम में ओर एक
रूम था जो बगीचे की ओर था वो एक ही रूम था वह पे एक ओर बुध था जो अँधा था
देख नहीं सकता था ओर एस लिए उस के बच्चो ने उस को छोड़ दिया मर ने के लिए
जब पुष्पा ने उस की ये दरद भरी कहानी सुनी तो उस की आखो से आसू निकल
पड़े लेकिन वो बुध किसिस को भी मिलना नहीं चाहता था ओर उस ने अपने आप को एक
रूम में ही बांध कर के रखा था पुष्पा अक्सर उस अंधे अंधे बूढ़े के लिए खाना
ले के जाती थी लेकिन वो बुधा हमेसा पुष्पा पे गुस हो के उस को डाट के रूम
से बहर निकल देता है ओर पुच्पा आश्रम के उस रूम में ही एक टेबल पे वो खाने
की थाली रख के चली जाती थी ओत जब सुभ वो थाली लेने आती थो तो थाली का सारा
खान साफ़ हो जाता था यू ही चलता रहा कुछ माहिनो तक बाद में एक दिन जब पुष्पा
खाने की थाली रूम में रख के गई तो खाना के थाली वेसे ही पड़ी थी ओर वो अँधा
बुध बुखार से तड़प रहा था अताब गाव से एक वेद को पुष्पा ने बुला या ओर वेद
जी को इलाज़ कर ने को कहा वेद नव ओसधि तो दे दी लेकिन कहा की पुष्पा बीटा
में ने
दावा तो दे दी है लेकिन धियान रहे की इन को जियादा ठंडी न लगे ओर
इनका ख्याल रख न कहे के वेद चले गए पुष्पा पुअर दिन उस अंधे बूढ़े की सेवा
कर ने में ही लगी ही थी ओर रात को भी वो वाही थी ओर आश्रम के दस रे काम कर
ने वालो को बोल दिया था पुष्पा ने की तुम सब बाकि सब का धियं रखो में एस
अंधे बाबा का धियं रखु गी ओर रात हो गई थी जेसे जेसे रात होती गई अंधे बूढ़े
बाबा को बोहोद ठण्ड लग ने लगी वो ठण्ड से काप ने लगे ओर तब पुष्पा ने 3,4
कम्बल लेक बूढ़े के उपर दाल दिए ताकि ठंडी कम लगे लेकिन वो फिर भी ठण्ड से
काप रहा था तब पुष्पा ने बूढ़े का एक हाथ अपने दोनों हाथ में ले के घिस ने
लगी
अब बूढ़े ने पुष्पा को बीएड पे लेता के उस की साडी खोल दी ओर पुष्पा के सरे कपडे उतार के पुष्पा को नंगा कर दिया और खुद भी नंगा हो के पुष्पा के उपर लेट गया ओर कम्बल को बूढ़े ओर पुष्पा के उपर दाल के बूढ़े ने खुद को पुष्पा की दो नो टैंगो के बिच में ला के अपने हुवे लंड को पुष्पा की चूत पे रगन ने लगा लेकिन बूढ़े की उमर काफी हो गई थी सायद वो बुध 76 साल का हो ग ओर पुष्पा तो अभी काफी जवान थी ओर तभी बूढ़े ने पुष्पा के होतो को चूम लिया ओर अपने सोये हुवे लंड जिस की साइज़ थी 7 इंच ओर 1 इंच मोटा था बूढ़े ने वो लंड हाथ से ही पकड़ के चूत में दबा दबा के पूरा 7 इंच तक दाल दिया
पुष्पा अब तक दो बार शर चुकी थी एस लिए लंड आसानी से अंडर चला गया था लेकिन लंड अभी भी सोया हुवा था एस लिए वो काफी सॉफ्ट नरम था एस लिए पुष्पा को अच्छा लग रहा था कुछ ही देर में पुष्पा फिर एक बार जड़ गई ओर उस बार पुष्पा की चूत से जो गरम गरम पानी निकला वो बूढ़े के लंड पे जा के गिर ओर एस से लंड काफी चिपचिपा सा हो गे था ओर तभी लंड चूत के अंडर ही खड़ा हो गया अब लंड का साइज़ था 9 इंच 1/2 इंच मोठा हो गया था पुष्पा जाट पता ने लगी लेकिन बूढ़े ने पुष्पा को जकड के रखा ताकि पुष्पा हिल न पाए ओर करीब 1ओ मिनिट के बाद बूढ़े ने अपनी कमर को उपर निचे कर न सुरु कर दिया
अब पुष्पा को भी अच्छा लग ने लगा था पुष्पा भी उंढे बूढ़े बाबा का साथ दे रही थी ओर निचे से ही अपनी कमर को उछाल रही थी 1 घंटे के बाद बूढ़े ने अपना विरिया पुष्पा की छुट में ही दाल दिया कितने सालो का विरिया था ओर बोहोद सारा निकल रहा था 5 मिनिट ताल पुष्पा की चूत में ही लंड दाल के विरिया निकल ता रहा वो बुध ओर उस दिन के बाद पुष्पा अक्सर रात में चोरी छुपे उस उंढे बूढ़े बाबा के पास जा के सो जाती थी ओर चूड़ी किया कर टी थी
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