राखी की नये घर मैं चुदाई
मैं
शहर में कमरा तलाश कर रहा था। तभी राखी का एक दिन फोन आया कि giga g जी
का तबादला उसी शहर में हो गया है जहां मैं पढ़ता हूँ राखी ने बताया कि
उन्हें सरकारी मकान मिला है रहने के लिए जो बहुत बड़ा है। राखी के कोई
बच्चा तो था नहीं अभी तक सिर्फ राखी और
giga ही
थेआभा बोली कि मुझे कमरा ढूंढने की कोई जरुरत नहीं है। मैं उनके पास
रह सकता हूँ। पिता जी भी इसके लिए राजी हो गए क्योंकि इस से मेरे खाने पीने
की समस्या का भी हल मिल गया था और राखी की निगरानी में मेरे बिगड़ने का
बस दो दिन के बाद giga g सामान लेकर शहर पहुँच गए। मकान पर giga g के ऑफिस के
लोग आये थे giga g से मिलने और सामान उतरवाने। करीब आधे घंटे में सब लोग
सामान उतरवा कर और चाय पी कर चले
गए। अब सामान जमाने का काम शुरू करना था। यह काम तो राखी को ही करना था।
मैं भी राखी की मदद करने लगा। मैंने और राखी ने मिल कर बड़ा-बड़ा
सामान करीने से लगा दिया। अब कुछ छोटा मोटा सामान बचा था जो हर रोज़ काम
आने वाला भी नहीं था। राखी बोली कि इसे ऊपर टांड पर रख देते हैं।
तभी राखी ने आवाज दी। जाकर देखा तो giga जी बोतल खोल कर बैठे थे और शायद एक दो पैग लगा भी चुके थे। वो कुछ खाने
को मांग रहे थे। giga ने मुझे भी लेने को कहा पर मैंने मना कर दिया क्योंकि मैंने पहले कभी नहीं पी थी।
राखी ने
giga को काजू और नमकीन निकाल कर दी और हम फिर से काम पर लग गए। काम के
दौरान हम दोनों ने एक दूसरे को कई बार छुआ पर ना तो मेरे मन में और ना
ही राखी के मन में कोई दूसरा ख़याल था। यानि सब कुछ सामान्य
था।आभा टांड पर चढ़ी हुई थी और मैं नीचे से सामान पकड़ा रहा था।
अचानकआभा i एकदम से चिल्लाई।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो राखीi बोली कॉकरोच है। राखी कॉकरोच से बहुत डरती थी।
मैंने
ऊपर चढ़ कर देखा तो कॉकरोच ही था। मैंने कॉकरोच को मार कर नीचे फेंक
दिया।राखी अब भी बहुत डरी हुई थी। डर के मारे राखी की आवाज भी नहीं निकल
रही थी। जैसे ही मैंने कॉकरोच को मार कर नीचे फेंका राखी i एकदम मुझ से
चिपक गई।राखी डर के मारे कांप रही
थी।
मैंने राखी के कंधे पर हाथ रखा और बोला- राखी अब कॉकरोच नहीं है, मैंने उसे मार कर फ़ेंक दिया है।
पर राखी अब
भी मुझ से चिपकी हुई कांप रही थी। मेरा हाथ राखी की पीठ पर चला गया था।
पर अब तक मेरे दिल में कोई भी ऐसी वैसी बात नहीं थी। अचानक मेरी नजर राखी
की चूचियों पर गई जो दिल की धड़कन के साथ ऊपर नीचे हो रही थी और अब
मुझे अपने सीने में गड़ी हुई महसूस हो रही थी। मेरा लंड
एक दम से पजामे में हरकत करने लगा था। पर मैं अपने आप पर कण्ट्रोल करने के
पूरी कोशिश कर रहा था।
राखी अब
भी मुझसे चिपकी हुई थी। मैंने राखी के चेहरे को आपने हाथ से ऊपर उठाया।
राखी की आँखें बंद थी। राखी कितनी खूबसूरत थी इस बात का एहसास मुझे
इसी पल हुआ था। मैंने कभी राखी को इस नजर से देखा ही नहीं था। एक दम
गोरा चिट्टा रंग, गुलाबी होंठ। इस पल तो मुझे बस यही नजर आ रहे थे।
या फिर आपने सीने में गड़ती राखी की मस्त बड़ी बड़ी चूचियाँ।राखी की
चूचियाँ बड़ी बड़ी थी। पर मुझे उसके नंबर का कोई अंदाजा नहीं था।
अब
मुझे राखी पर बहुत प्यार आ रहा था। राखी के बदन के खुशबू और गर्मी ने
मुझे दीवाना बना दिया था। अब मेरा आपने ऊपर कण्ट्रोल खत्म होता जा रहा था। राखी का चेहरा मेरे करीब आता जा रहा था। ना जाने कब मेरे
होंठ राखी के होंठों से टकरा गए और
मैं राखी के रसीले होंठ अपने होंठो में दबा कर चूसने लगा। राखी भी
मेरा साथ देने लगी। एक दो मिनट तक ऐसे ही रहा। फिर राखीजैसे अचानक नींद
से जागी और उसने मुझे अपने से अलग कर दिया। राखी
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